Tuesday 13 February 2024

कविता. ५०८१. किनारों को सपनों संग।

                            किनारों को सपनों संग।

किनारों को सपनों संग आवाज एहसास दिलाती है इशारों को लम्हों की पहचान पुकार सुनाती है नजारों से जज्बातों की कहानी सहारा देती है।

किनारों को सपनों संग आस कोशिश दिलाती है उजालों को एहसासों की समझ सौगात सुनाती है लहरों से अंदाजों की सोच सहारा देती है।

किनारों को सपनों संग राह इरादा दिलाती है खयालों को बदलावों की मुस्कान तराना सुनाती है उम्मीदों से धाराओं की सरगम सहारा देती है।

किनारों को सपनों संग समझ रोशनी दिलाती है कदमों को उजालों की सुबह अरमान सुनाती है जज्बातों से बदलावों की आस सहारा देती है।

किनारों को सपनों संग अदा पहचान दिलाती है अरमानों को दिशाओं की परख खयाल सुनाती है कदमों से अदाओं की तलाश सहारा देती है।

किनारों को सपनों संग सुबह जज्बात दिलाती है राहों को अरमानों की आहट अफसाना सुनाती है दास्तानों से आशाओं की रोशनी सहारा देती है।

किनारों को सपनों संग सोच तलाश दिलाती है दिशाओं को खयालों की उमंग लम्हा सुनाती है अल्फाजों से नजारों की सौगात सहारा देती है।

किनारों को सपनों संग परख सरगम दिलाती है उजालों को सपनों की राह आवाज सुनाती है अरमानों से इशारों की आस सहारा देती है।

किनारों को सपनों संग उमंग अल्फाज दिलाती है नजारों को अंदाजों की सोच पहचान सुनाती है आवाजों से दास्तानों की मुस्कान सहारा देती है।

किनारों को सपनों संग उम्मीद दास्तान दिलाती है लम्हों को अफसानों की कोशिश आस सुनाती है अंदाजों से राहों की सुबह सहारा देती है।

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