Thursday, 15 February 2024

कविता. ५०८३. आस को दास्तानों की।

                         आस को दास्तानों की।

आस को दास्तानों की परख कोशिश सुनाती है लहरों की उमंग अक्सर अरमान दिलाती है खयालों से उम्मीद संग आहट देकर जाती है।

आस को दास्तानों की पुकार आहट सुनाती है लम्हों की परख अक्सर आवाज दिलाती है जज्बातों से बदलाव संग रोशनी देकर जाती है।

आस को दास्तानों की तलाश अल्फाज सुनाती है राहों की सौगात अक्सर सपना दिलाती है नजारों से आवाज संग धून देकर जाती है।

आस को दास्तानों की लहर अफसाना सुनाती है जज्बातों की कोशिश अक्सर तराना दिलाती है कदमों से अदा संग सुबह देकर जाती है।

आस को दास्तानों की रोशनी सरगम सुनाती है दिशाओं की कहानी अक्सर अल्फाज दिलाती है किनारों से राह संग सोच देकर जाती है।

आस को दास्तानों की सौगात अंदाज सुनाती है कदमों की सोच अक्सर बदलाव दिलाती है नजारों से आवाज संग उम्मीद देकर जाती है।

आस को दास्तानों की उम्मीद मुस्कान सुनाती है किनारों की समझ अक्सर उजाला दिलाती है राहों से धारा संग सौगात देकर जाती है।

आस को दास्तानों की कोशिश उमंग सुनाती है नजारों की कहानी अक्सर बदलाव दिलाती है इरादों से पुकार संग आहट देकर जाती है।

आस को दास्तानों की सोच खयाल सुनाती है अरमानों की आवाज अक्सर रोशनी दिलाती है इशारों से समझ संग दास्तान देकर जाती है।

आस को दास्तानों की समझ तलाश सुनाती है राहों की परख अक्सर अहमियत दिलाती है जज्बातों से सौगात संग तराना देकर जाती है।

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