Sunday 4 February 2024

कविता. ५०७२. इशारों को कदमों संग।

                              इशारों को कदमों संग।

इशारों को कदमों संग आहट उजाला दिलाती है लम्हों को किनारों से अंदाजों की सरगम समझ दिलाती है नजारों से जज्बातों की राह सुनाती है।

इशारों को कदमों संग आस अरमान दिलाती है लहरों को एहसासों से उम्मीदों की कहानी कोशिश दिलाती है इरादों से अल्फाजों की राह सुनाती है।

इशारों को कदमों संग सोच किनारा दिलाती है राहों को अल्फाजों से आशाओं की परख सरगम दिलाती है सपनों से कदमों की राह सुनाती है।

इशारों को कदमों संग लहर उमंग दिलाती है उजालों को बदलावों से धाराओं की आस नजारा दिलाती है अंदाजों से उम्मीदों की राह सुनाती है।

इशारों को कदमों संग मुस्कान सौगात दिलाती है अदाओं को तरानों से आवाजों की धून अफसाना दिलाती है अरमानों से खयालों की राह सुनाती है।

इशारों को कदमों संग रोशनी उमंग दिलाती है उम्मीदों को सपनों से जज्बातों की कहानी तलाश दिलाती है अदाओं से आवाजों की राह सुनाती है।

इशारों को कदमों संग पुकार सहारा दिलाती है आशाओं को किनारों से लम्हों की पहचान तराना दिलाती है कदमों से धाराओं की राह सुनाती है।

इशारों को कदमों संग आवाज पुकार दिलाती है जज्बातों को खयालों से उजालों की कहानी सरगम दिलाती है दिशाओं से अंदाजों की राह सुनाती है।

इशारों को कदमों संग सरगम दास्तान दिलाती है एहसासों को अफसानों से धाराओं की सौगात सुबह दिलाती है अंदाजों से दास्तानों की राह सुनाती है।

इशारों को कदमों संग कोशिश समझ दिलाती है तरानों को अरमानों से उम्मीदों की कहानी पहचान दिलाती है आशाओं से नजारों की राह सुनाती है।



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