Thursday 1 February 2024

कविता. ५०६९. किनारों को सपनों संग।

                              किनारों को सपनों संग।

किनारों को सपनों संग आस सरगम दिलाती है लहरों की पुकार अक्सर आवाजों की मुस्कान दिलाती है उजालों को नजारों की कहानी सुनाती है।

किनारों को सपनों संग राह एहसास दिलाती है लम्हों की सुबह अक्सर आशाओं की सोच दिलाती है जज्बातों को कदमों की कहानी सुनाती है।

किनारों को सपनों संग सौगात तलाश दिलाती है एहसासों की सोच अक्सर अरमानों की पुकार दिलाती है उम्मीदों को राहों की कहानी सुनाती है।

किनारों को सपनों संग सुबह तराना दिलाती है अरमानों की पुकार अक्सर खयालों की कोशिश दिलाती है इशारों को लम्हों की कहानी सुनाती है।

किनारों को सपनों संग आवाज धून दिलाती है दास्तानों की परख अक्सर इरादों की आस दिलाती है अफसानों को आशाओं की कहानी सुनाती है।

किनारों को सपनों संग रोशनी उमंग दिलाती है जज्बातों की आस अक्सर दिशाओं की समझ दिलाती है लहरों को राहों की कहानी सुनाती है।

किनारों को सपनों संग पहचान सहारा दिलाती है बदलावों की सौगात अक्सर लम्हों की पहचान दिलाती है नजारों को दिशाओं की कहानी सुनाती है।

किनारों को सपनों संग परख सरगम दिलाती है कदमों की मुस्कान अक्सर उम्मीदों की तलाश दिलाती है आवाजों को अंदाजों की कहानी सुनाती है।

किनारों को सपनों संग पुकार सौगात दिलाती है खयालों की समझ अक्सर उजालों की सुबह दिलाती है एहसासों को जज्बातों की कहानी सुनाती है।

किनारों को सपनों संग सोच इरादा दिलाती है नजारों की कोशिश अक्सर तरानों की सरगम दिलाती है अंदाजों को इरादों की कहानी सुनाती है।

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