Wednesday 28 February 2024

कविता. ५०९६. उमंग को कदमों की।

                                उमंग को कदमों की।

उमंग को कदमों की आस अरमान दिलाती है नजारों से आवाजों की धून अफसाना देकर जाती है जज्बातों को किनारों की पुकार सुनाती है।

उमंग को कदमों की धून अहमियत दिलाती है अदाओं से एहसासों की कहानी कोशिश देकर जाती है अरमानों को सपनों की पुकार सुनाती है।

उमंग को कदमों की रोशनी उम्मीद दिलाती है उजालों से आशाओं की मुस्कान तराना देकर जाती है अल्फाजों को दास्तानों की पुकार सुनाती है।

उमंग को कदमों की राह इशारा दिलाती है खयालों से अंदाजों की परख पहचान देकर जाती है उम्मीदों को दिशाओं की पुकार सुनाती है।

उमंग को कदमों की कहानी पहचान दिलाती है राहों से धाराओं की समझ सौगात देकर जाती है अफसानों को आवाजों की पुकार सुनाती है।

उमंग को कदमों की सोच अफसाना दिलाती है इशारों से अंदाजों की पहचान उम्मीद देकर जाती है बदलावों को अदाओं की पुकार सुनाती है।

उमंग को कदमों की अदा कोशिश दिलाती है तरानों से लहरों की मुस्कान अहमियत देकर जाती है किनारों को अंदाजों की पुकार सुनाती है।

उमंग को कदमों की आवाज सहारा दिलाती है लम्हों से अल्फाजों की आस कोशिश देकर जाती है इरादों को राहों की पुकार सुनाती है।

उमंग को कदमों की सौगात सरगम दिलाती है जज्बातों से आशाओं की सुबह उजाला देकर जाती है लहरों को अदाओं की पुकार सुनाती है।

उमंग को कदमों की समझ तलाश दिलाती है एहसासों से सपनों की लहर आवाज देकर जाती है अफसानों को नजारों की पुकार सुनाती है।

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कविता. ५१६५. उम्मीदों को किनारों की।

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