Tuesday 6 February 2024

कविता. ५०७४. राहों को सपनों की।

                             राहों को सपनों की।

राहों को सपनों की आहट सरगम सुनाती है तरानों को अल्फाजों की समझ इशारा देकर जाती है जज्बातों को अदाओं की पुकार सुनाती है।

राहों को सपनों की सुबह पहचान सुनाती है इशारों को लम्हों की तलाश सरगम देकर जाती है बदलावों को दास्तानों की पुकार सुनाती है।

राहों को सपनों की समझ अरमान सुनाती है दिशाओं को लहरों की मुस्कान अफसाना देकर जाती है किनारों को अंदाजों की पुकार सुनाती है।

राहों को सपनों की आस अल्फाज सुनाती है कदमों को बदलावों की सोच सहारा देकर जाती है आवाजों को लम्हों की पुकार सुनाती है।

राहों को सपनों की कोशिश तलाश सुनाती है किनारों को अंदाजों की रोशनी आस देकर जाती है उजालों को दास्तानों की पुकार सुनाती है।

राहों को सपनों की सौगात नजारा सुनाती है आशाओं को जज्बातों की सोच सहारा देकर जाती है कदमों को लहरों की पुकार सुनाती है।

राहों को सपनों की उमंग आवाज सुनाती है एहसासों को उम्मीदों की कहानी सौगात देकर जाती है खयालों को किनारों की पुकार सुनाती है।

राहों को सपनों की उम्मीद सहारा सुनाती है लम्हों को अरमानों की आहट कोशिश देकर जाती है अफसानों को इशारों की पुकार सुनाती है।

राहों को सपनों की सोच जज्बात सुनाती है उम्मीदों को दिशाओं की समझ लहर देकर जाती है अल्फाजों को लम्हों की पुकार सुनाती है।

राहों को सपनों की परख कोशिश सुनाती है एहसासों को अदाओं की पहचान सरगम देकर जाती है दास्तानों को जज्बातों की पुकार सुनाती है।

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