Friday 23 February 2024

कविता. ५०९१. किनारों को सपनों संग।

                         किनारों को सपनों संग।

किनारों को सपनों संग आस दिशा देती है अरमानों की समझ अफसानों के तराने देती है राहों को सपनों की आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग राह अदा देती है तरानों की सरगम खयालों के नजारे देती है अल्फाजों को दास्तानों की आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग कोशिश अरमान देती है अंदाजों की सोच के परख देती है लम्हों को इशारों की आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग उमंग आवाज देती है अरमानों की लहर के मुस्कान देती है जज्बातों को आशाओं की आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग उम्मीद तलाश देती है कदमों की समझ से बदलाव देती है नजारों को अफसानों की आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग सरगम सोच देती है एहसासों की आस से कोशिश देती है आशाओं को उजालों की आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग सुबह अल्फाज़ देती है आवाजों की धून से सहारा देती है जज्बातों को राहों की आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग दास्तान आस देती है लहरों की सौगात से कोशिश देती है बदलावों को इरादों की आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग तलाश सरगम देती है अल्फाजों की सोच से तराना देती है अंदाजों को नजारों की आहट सुनाती है।

किनारों को सपनों संग रोशनी मुस्कान देती है आवाजों की धून से सपना देती है अरमानों को कदमों की आहट सुनाती है।


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