Thursday 4 May 2023

कविता. ४७९६. उजालों संग आस अक्सर।

                                 उजालों संग आस अक्सर।

उजालों संग आस अक्सर उम्मीदों के इशारे देती है दास्तानों कि परख से एहसासों कि आशाएं दिलाती है लम्हों को खयालों कि मुस्कान पहचान सुनाती है।

उजालों संग आस अक्सर दास्तानों के राहे देती है कदमों कि आहट से अरमानों कि किनारे दिलाती है लहरों को नजारों कि सौगात पहचान सुनाती है।

उजालों संग आस अक्सर बदलावों के तराने देती है जज्बातों कि कोशिश से आवाजों कि उम्मीदें दिलाती है अरमानों को आशाओं कि पुकार पहचान सुनाती है।

उजालों संग आस अक्सर नजारों के लहरें देती है दिशाओं कि कहानी से अंदाजों कि धाराएं दिलाती है आवाजों को इशारों कि सरगम पहचान सुनाती है।

उजालों संग आस अक्सर एहसासों के नजारे देती है किनारों कि आहट से अरमानों कि पुकार दिलाती है जज्बातों को कदमों कि उमंग पहचान सुनाती है।

उजालों संग आस अक्सर जज्बातों के लम्हे देती है तरानों कि अल्फाज से दिशाओं कि कहानी दिलाती है इरादों को आशाओं कि रोशनी पहचान सुनाती है।

उजालों संग आस अक्सर बदलावों के अफसाने देती है इरादों कि सौगात से नजारों कि सोच दिलाती है दिशाओं को कदमों कि आहट पहचान सुनाती है।

उजालों संग आस अक्सर कदमों के अंदाजे देती है नजारों कि मुस्कान से आवाजों कि धून दिलाती है खयालों को अंदाजों कि सुबह पहचान सुनाती है।

उजालों संग आस अक्सर किनारों के उम्मीदें देती है एहसासों कि कोशिश से अंदाजों कि आहट दिलाती है बदलावों को आशाओं कि सोच पहचान सुनाती है।

उजालों संग आस अक्सर सपनों के आवाजें देती है अरमानों कि सुबह से कदमों कि सौगात दिलाती है इशारों को किनारों कि कोशिश पहचान सुनाती है।

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