Monday 29 May 2023

कविता. ४८२१. उमंग से जुड़कर।

                                         उमंग से जुड़कर।

उमंग से जुड़कर आशाओं कि आहट इशारे देती है दास्तानों को एहसासों कि तलाश कोशिश देती है इरादों को नजारों कि सौगात बदलाव सुनाती है।

उमंग से जुड़कर अदाओं कि पुकार पहचान देती है किनारों को सपनों कि सुबह दास्तान देती है अरमानों को दिशाओं कि कहानी बदलाव सुनाती है।

उमंग से जुड़कर आवाजों कि धून कोशिश देती है लम्हों को अरमानों कि सोच तराना देती है अंदाजों को जज्बातों कि मुस्कान बदलाव सुनाती है।

उमंग से जुड़कर दिशाओं कि कहानी सपना‌ देती है नजारों को खयालों कि आहट इशारा देती है कदमों को अफसानों कि धारा बदलाव सुनाती है।

उमंग से जुड़कर अंदाजों कि आस सरगम देती है अल्फाजों को उजालों कि पुकार एहसास देती है सपनों को अदाओं कि परख बदलाव सुनाती है।

उमंग से जुड़कर किनारों कि मुस्कान रोशनी देती है दिशाओं को आवाजों कि धून पुकार देती है अल्फाजों को राहों कि समझ बदलाव सुनाती है।

उमंग से जुड़कर एहसासों कि आस अल्फाज देती है जज्बातों को आशाओं कि राह सपना देती है तरानों को अरमानों कि पुकार बदलाव सुनाती है।

उमंग से जुड़कर खयालों कि समझ सौगात देती है अंदाजों को जज्बातों कि मुस्कान सहारा देती है किनारों को अल्फाजों कि सौगात बदलाव सुनाती है।

उमंग से जुड़कर तरानों कि पुकार अरमान देती है आवाजों को राहों कि कोशिश अहमियत देती है इशारों को लम्हों कि रोशनी बदलाव सुनाती है।

उमंग से जुड़कर दास्तानों कि परख अफसाना देती है राहों को अंदाजों कि समझ सोच देती है अरमानों को उजालों कि पुकार बदलाव सुनाती है।

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