Saturday, 13 May 2023

कविता. ४८०५. उम्मीदों को दिशाओं संग।

                                 उम्मीदों को दिशाओं संग।

उम्मीदों को दिशाओं संग पहचान से आस पुकार दिलाती है तरानों कि सुबह को कदमों कि आहट अफसाना देकर आगे बढती जाती है।

उम्मीदों को दिशाओं संग परख से आवाज पहचान दिलाती है अदाओं कि कोशिश को इशारों कि सौगात अरमान देकर आगे बढती जाती है।

उम्मीदों को दिशाओं संग आहट से परख एहसास दिलाती है लहरों कि सोच को सपनों कि दास्तान नजारा देकर आगे बढती जाती है।

उम्मीदों को दिशाओं संग तलाश से कोशिश इशारा दिलाती है लम्हों कि पुकार को जज्बातों कि मुस्कान सहारा देकर आगे बढती जाती है।

उम्मीदों को दिशाओं संग सुबह से उमंग खयाल दिलाती है आवाजों कि धून को किनारों कि सोच बदलाव देकर आगे बढती जाती है।

उम्मीदों को दिशाओं संग सरगम से धून दास्तान दिलाती है उजालों कि आस को अदाओं कि पुकार अहमियत देकर आगे बढती जाती है।

उम्मीदों को दिशाओं संग अदा से रोशनी पहचान दिलाती है कदमों कि आहट को खयालों कि समझ सपना देकर आगे बढती जाती है।

उम्मीदों को दिशाओं संग मुस्कान से उमंग लहर दिलाती है इशारों कि सरगम को आशाओं कि सौगात आवाज देकर आगे बढती जाती है।

उम्मीदों को दिशाओं संग आवाज से खयाल अंदाज दिलाती है राहों कि पहचान को बदलावों कि कोशिश इरादा देकर आगे बढती जाती है।

उम्मीदों को दिशाओं संग सौगात से सुबह अरमान दिलाती है सपनों कि उमंग को किनारों कि पहचान परख देकर आगे बढती जाती है।

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