Friday, 26 May 2023

कविता. ४८१८. जज्बात से कोई।

                                         जज्बात से कोई।

जज्बात से कोई तलाश अक्सर आशाओं कि लहर सुनाती है अरमानों कि पहचान संग कदमों कि आहट कोशिश दिलाती है दिशाओं कि कहानी देकर जाती है।

जज्बात से कोई आवाज अक्सर सपनों कि आस सुनाती है तरानों कि सुबह संग अदाओं कि परख अहमियत दिलाती है लम्हों कि कहानी देकर जाती है।

जज्बात से कोई अंदाज अक्सर खयालों कि समझ सुनाती है अल्फाजों कि कोशिश संग आशाओं कि सरगम सौगात दिलाती है नजारों कि कहानी देकर जाती है।

जज्बात से कोई कोशिश अक्सर अंदाजों कि परख सुनाती है किनारों कि मुस्कान संग दास्तानों कि पुकार दास्तान दिलाती है इशारों कि कहानी देकर जाती है।

जज्बात से कोई आस अक्सर दास्तानों कि कोशिश सुनाती है नजारों कि आहट संग दिशाओं कि आवाज राह दिलाती है लहरों कि कहानी देकर जाती है।

जज्बात से कोई रोशनी अक्सर आवाजों कि धून सुनाती है लम्हों कि दास्तान संग बदलावों कि सोच किनारा दिलाती है इरादों कि कहानी देकर जाती है।

जज्बात से कोई परख अक्सर उजालों कि सुबह सुनाती है इशारों कि सरगम संग नजारों कि सुबह बदलाव दिलाती है आशाओं कि कहानी देकर जाती है।

जज्बात से कोई राह अक्सर जज्बातों कि मुस्कान सुनाती है अंदाजों कि परख संग अल्फाजों कि आस सरगम दिलाती है कदमों कि कहानी देकर जाती है।

जज्बात से कोई सौगात अक्सर इरादों कि आस सुनाती है खयालों कि समझ संग उम्मीदों कि पुकार कोशिश दिलाती है दिशाओं कि कहानी देकर जाती है।

जज्बात से कोई आस अक्सर बदलावों कि सोच सुनाती है तरानों कि सुबह संग आशाओं कि सरगम तलाश दिलाती है किनारों कि कहानी देकर जाती है।

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