Wednesday 31 May 2023

कविता. ४८२३. उजालों कि सुबह से।

                                       उजालों कि सुबह से।

उजालों कि सुबह से आशाओं कि सरगम कोशिश दिलाती है अदाओं को दिशाओं कि पहचान कहानी सुनाती है अंदाजों को बदलावों कि सौगात देकर जाती है।

उजालों कि सुबह से आवाजों कि धून अफसाना दिलाती है अल्फाजों को राहों कि मुस्कान दास्तान सुनाती है नजारों को दिशाओं कि समझ देकर जाती है।

उजालों कि सुबह से जज्बातों कि लहर रोशनी दिलाती है अंदाजों को बदलावों कि सौगात कोशिश सुनाती है कदमों को नजारों कि पहचान देकर जाती है।

उजालों कि सुबह से अरमानों कि पुकार एहसास दिलाती है तरानों को उम्मीदों कि सोच खयाल‌ सुनाती है अफसानों को आशाओं कि पुकार देकर जाती है।

उजालों कि सुबह से दास्तानों कि परख किनारा दिलाती है लम्हों को अरमानों कि उमंग पुकार सुनाती है दिशाओं को इशारों कि सरगम देकर जाती है।

उजालों कि सुबह से अंदाजों कि आस सरगम दिलाती है दास्तानों को राहों कि आहट सौगात सुनाती है आवाजों को खयालों कि आस देकर जाती है।

उजालों कि सुबह से लम्हों कि रोशनी इरादा दिलाती है लहरों को एहसासों कि समझ अहमियत सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि कहानी देकर जाती है।

उजालों कि सुबह से कदमों कि आस सपना दिलाती है किनारों को अल्फाजों कि सरगम दास्तान सुनाती है कदमों को अंदाजों कि परख देकर जाती है।

उजालों कि सुबह से उम्मीदों कि राह खयाल‌ दिलाती है अरमानों को दिशाओं कि कहानी तलाश सुनाती है नजारों को खयालों कि समझ देकर जाती है।

उजालों कि सुबह से एहसासों कि आवाज पहचान दिलाती है अदाओं को तरानों कि पुकार कोशिश सुनाती है बदलावों को लम्हों कि रोशनी देकर जाती है।

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