Thursday 1 June 2023

कविता. ४८२४. उम्मीद कोई आशाओं कि।

                                उम्मीद कोई आशाओं कि।

उम्मीद कोई आशाओं कि लहर दिलाती है नजारों को सपनों कि आहट सरगम सुनाती है तरानों कि सुबह अक्सर दास्तानों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद कोई आशाओं कि सोच दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ कोशिश सुनाती है जज्बातों कि मुस्कान अक्सर दिशाओं कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद कोई आशाओं कि सरगम दिलाती है कदमों को अदाओं कि परख सोच सुनाती है लम्हों कि पुकार अक्सर उजालों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद कोई आशाओं कि सुबह दिलाती है लहरों को एहसासों कि आस किनारा सुनाती है लहरों कि आवाज अक्सर राहों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद कोई आशाओं कि बदलाव दिलाती है उम्मीदों को कदमों कि सुबह दास्तान सुनाती है नजारों कि रोशनी अक्सर सपनों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद कोई आशाओं कि आस दिलाती है जज्बातों को किनारों कि मुस्कान अरमान सुनाती है किनारों कि पुकार अक्सर आवाजों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद कोई आशाओं कि रोशनी दिलाती है राहों को अंदाजों कि राह कोशिश सुनाती है दास्तानों कि कहानी अक्सर बदलावों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद कोई आशाओं कि समझ दिलाती है किनारों को सपनों कि सौगात अंदाज सुनाती है नजारों कि परख अक्सर अरमानों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद कोई आशाओं कि सुबह दिलाती है कदमों को अदाओं कि पुकार अफसाना सुनाती है इशारों कि सौगात अक्सर इरादों कि पहचान दिलाती है।

उम्मीद कोई आशाओं कि तलाश दिलाती है आवाजों को खयालों कि समझ आस सुनाती है अल्फाजों कि राह अक्सर जज्बातों कि पहचान दिलाती है।


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