Tuesday, 6 June 2023

कविता. ४८२९. किनारों को आशाओं कि।

                           ‌‌‌‌        किनारों को आशाओं कि।

किनारों को आशाओं कि सरगम आहट दिलाती है लम्हों को खयालों कि समझ उजाला देती है जज्बातों को मुस्कान तरानों कि धाराएं देती है।

किनारों को आशाओं कि सोच आवाज दिलाती है लहरों को इशारों कि सौगात कोशिश देती है इशारों को आस अरमानों कि धाराएं देती है।

किनारों को आशाओं कि पुकार दास्तान दिलाती है कदमों को नजारों कि सुबह इरादा देती है एहसासों को उम्मीद अंदाजों कि धाराएं देती है।

किनारों को आशाओं कि सुबह कोशिश दिलाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच तलाश देती है कदमों को आस राहों कि धाराएं देती है।

किनारों को आशाओं कि आस अल्फाज दिलाती है उजालों को सपनों कि राह अफसाना देती है आशाओं को पुकार नजारों कि धाराएं देती है।

किनारों को आशाओं कि लहर पहचान दिलाती है जज्बातों को दास्तानों कि कहानी सोच देती है उम्मीदों को आस अफसानों कि धाराएं देती है।

किनारों को आशाओं कि एहसास सौगात दिलाती है लम्हों को खयालों कि सौगात सरगम देती है एहसासों को राह लम्हों कि धाराएं देती है।

किनारों को आशाओं कि उमंग कोशिश दिलाती है एहसासों को अदाओं कि सोच खयाल देती है तरानों को तलाश बदलावों कि धाराएं देती है।

किनारों को आशाओं कि अदा इशारा दिलाती है अल्फाजों को उजालों कि सौगात तलाश देती है नजारों को रोशनी इरादों कि धाराएं देती है।

किनारों को आशाओं कि सौगात तलाश दिलाती है अंदाजों को कदमों कि आहट सहारा देती है आवाजों को धून अदाओं कि धाराएं देती है।

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