Thursday, 22 June 2023

कविता. ४८४५. उमंग संग आशाओं की।

                                 उमंग संग आशाओं की।

उमंग संग आशाओं की पहचान पुकार दिलाती है दास्तानों को एहसासों की सोच अरमान सुनाती है नजारों को खयालों की मुस्कान सुबह देती है।

उमंग संग आशाओं की परख आस दिलाती है नजारों को दिशाओं की समझ कोशिश सुनाती है लम्हों को अरमानों की सोच सुबह देती है।

उमंग संग आशाओं की तलाश आवाज दिलाती है लहरों को इशारों की सरगम बदलाव सुनाती है जज्बातों को कदमों की आहट सुबह देती है।

उमंग संग आशाओं की पुकार तलाश दिलाती है अदाओं को तरानों की सौगात इरादा सुनाती है सपनों को अफसानों की समझ सुबह देती है।

उमंग संग आशाओं की सरगम जज्बात दिलाती है अंदाजों को बदलावों की मुस्कान आस सुनाती है लहरों को इशारों की अहमियत सुबह देती है।

उमंग संग आशाओं की सोच कोशिश दिलाती है आवाजों को राहों की कोशिश अफसाना सुनाती है नजारों को दिशाओं की तलाश सुबह देती है।

उमंग संग आशाओं की सौगात तराना दिलाती है इशारों को दास्तानों की कहानी खयाल सुनाती है अंदाजों को बदलावों की सरगम सुबह देती है।

उमंग संग आशाओं की उम्मीद तलाश दिलाती है कदमों को उजालों की रोशनी आवाज सुनाती है किनारों को सपनों की कोशिश सुबह देती है।

उमंग संग आशाओं की आहट एहसास दिलाती है दास्तानों को अदाओं की सोच सपना सुनाती है कदमों को बदलावों की पहचान सुबह देती है।

उमंग संग आशाओं की लहर खयाल दिलाती है नजारों को दिशाओं की कहानी कोशिश सुनाती है जज्बातों को अंदाजों की परख सुबह देती है।

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