Thursday 8 June 2023

कविता. ४८३१. दास्तानों कि आस अक्सर।

                                         दास्तानों कि आस अक्सर।

दास्तानों कि आस अक्सर आशाओं कि आहट देती है तरानों को अरमानों कि पुकार अल्फाज सुनाती है राहों को अंदाजों कि सरगम दिलाती है।

दास्तानों कि आस अक्सर बदलावों कि सोच देती है कदमों को उजालों कि सुबह अहमियत सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि सरगम दिलाती है।

दास्तानों कि आस अक्सर नजारों कि समझ देती है किनारों को किनारों कि रोशनी खयाल सुनाती है इशारों को लहरों कि सरगम दिलाती है।

दास्तानों कि आस अक्सर आवाजों कि धून देती है आशाओं को बदलावों कि मुस्कान किनारा सुनाती है अल्फाजों को राहों कि सरगम दिलाती है।

दास्तानों कि आस अक्सर अंदाजों कि परख देती है लहरों को एहसासों कि समझ कोशिश सुनाती है अरमानों को उजालों कि सरगम दिलाती है।

दास्तानों कि आस अक्सर दिशाओं कि कहानी देती है अंदाजों को कदमों कि सोच आवाज सुनाती है इरादों को आशाओं कि सरगम दिलाती है।

दास्तानों कि आस अक्सर अल्फाजों कि सौगात देती है जज्बातों को किनारों कि पुकार एहसास सुनाती है अदाओं को तरानों कि सरगम दिलाती है।

दास्तानों कि आस अक्सर दास्तानों कि रोशनी देती है अरमानों को इशारों कि आहट अहमियत सुनाती है नजारों को खयालों कि सरगम दिलाती है।

दास्तानों कि आस अक्सर उम्मीदों कि लहर देती है आवाजों को अदाओं कि पुकार सुबह सुनाती है दिशाओं को बदलावों कि सरगम दिलाती है।

दास्तानों कि आस अक्सर तरानों कि पुकार देती है अंदाजों को इरादों कि कोशिश कहानी सुनाती है लम्हों को एहसासों कि सरगम दिलाती है।

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कविता. ५१६६. कोशिश की कहानी अक्सर।

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