Saturday 10 June 2023

कविता. ४८३३. उमंग किसी किनारे कि ओर।

                           उमंग किसी किनारे कि ओर।

उमंग किसी किनारे कि ओर इशारा करती है आशाओं कि आहट सरगम का तराना‌ देकर चलती है अरमानों को दिशाओं कि कहानी मिलती है।

उमंग किसी किनारे कि ओर इरादा करती है मुस्कान कि आवाज आशाओं का उजाला देकर चलती है अंदाजों को बदलावों कि कहानी मिलती है।

उमंग किसी किनारे कि ओर नजर करती है कदमों कि सौगात अदाओं का सुबह देकर चलती है आवाजों को राहों कि कहानी मिलती है।

उमंग किसी किनारे कि ओर आहट करती है जज्बातों कि सोच आस का अफसाना देकर चलती है उम्मीदों को दिशाओं कि कहानी मिलती है।

उमंग किसी किनारे कि ओर राह करती है खयालों कि समझ जज्बातों का रोशनी देकर चलती है अरमानों को सपनों कि कहानी मिलती है।

उमंग किसी किनारे कि ओर तलाश करती है अदाओं कि परख अल्फाजों का आस देकर चलती है जज्बातों को एहसासों कि कहानी मिलती है।

उमंग किसी किनारे कि ओर कोशिश करती है दिशाओं कि राह आशाओं का उजाला देकर चलती है अंदाजों को नजारों कि कहानी मिलती है।

उमंग किसी किनारे कि ओर आवाज करती है तरानों कि आहट राहों का एहसास देकर चलती है आवाजों को अफसानों कि कहानी मिलती है।

उमंग किसी किनारे कि ओर आस करती है आवाजों कि धून अंदाजों का कोशिश देकर चलती है इशारों को लम्हों कि कहानी मिलती है।

उमंग किसी किनारे कि ओर कदम करती है खयालों कि समझ उजालों का सहारा देकर चलती है जज्बातों को आशाओं कि कहानी मिलती है।

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