Saturday 3 June 2023

कविता. ४८२६. जज्बात संग सपनों कि।

                                    जज्बात संग सपनों कि।

जज्बात संग सपनों कि आहट अक्सर किनारा देती है दास्तानों को एहसासों कि समझ इशारा देती है कदमों को अदाओं कि तलाश सहारा देती है।

जज्बात संग सपनों कि लहर अक्सर कोशिश देती है कदमों को अदाओं कि परख रोशनी देती है अल्फाजों को उजालों कि सुबह सहारा देती है।

जज्बात संग सपनों कि आस अक्सर बदलाव देती है खयालों को अंदाजों कि राह आवाज देती है नजारों को दिशाओं कि कहानी सहारा देती है।

जज्बात संग सपनों कि‌ अदा अक्सर तराना देती है इरादों को आशाओं कि सरगम तलाश देती है आवाजों को राहों कि मुस्कान सहारा देती है।

जज्बात संग सपनों कि कोशिश अक्सर पुकार देती है नजारों को दिशाओं कि समझ सौगात देती है अरमानों को अदाओं कि परख सहारा देती है।

जज्बात संग सपनों कि आवाज अक्सर पहचान देती है लम्हों को उम्मीदों कि कहानी बदलाव देती है किनारों को इशारों कि समझ सहारा देती है।

जज्बात संग सपनों कि उमंग अक्सर दास्तान देती है इरादों को आशाओं कि समझ एहसास देती है कदमों को अंदाजों कि पुकार सहारा देती है।

जज्बात संग सपनों कि राह अक्सर अफसाना देती है लहरों को इशारों कि आहट कोशिश देती है अरमानों को दिशाओं कि कहानी सहारा देती है।

जज्बात संग सपनों कि उम्मीद अक्सर अंदाज देती है इरादों को लम्हों कि परख किनारा देती है एहसासों को इशारों कि सौगात सहारा देती है।

जज्बात संग सपनों कि सौगात अक्सर खयाल‌ देती है तरानों को अरमानों कि सोच तलाश देती है उजालों को आवाजों कि धून सहारा देती है।


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