Sunday, 21 May 2023

कविता. ४८१३. उमंग किसी अफसाने को।

                                  उमंग किसी अफसाने को।

उमंग किसी अफसाने को खयालों कि तलाश दिलाती है लम्हों को अरमानों कि सुबह सुनाती है कदमों को अदाओं कि परख रोशनी दिलाती है।

उमंग किसी अफसाने को राहों कि कोशिश दिलाती है दिशाओं को अंदाजों कि आहट सुनाती है नजारों को खयालों कि समझ रोशनी दिलाती है।

उमंग किसी अफसाने को किनारों कि मुस्कान दिलाती है आशाओं को बदलावों कि सौगात सुनाती है जज्बातों को कदमों कि सोच रोशनी दिलाती है।

उमंग किसी अफसाने को एहसासों कि समझ दिलाती है किनारों को सपनों कि समझ सुनाती है उजालों को सपनों कि आस रोशनी दिलाती है।

उमंग किसी अफसाने को कदमों कि आस दिलाती है अरमानों को दास्तानों कि अहमियत सुनाती है आशाओं को अदाओं कि पुकार रोशनी दिलाती है।

उमंग किसी अफसाने को दिशाओं कि कहानी दिलाती है खयालों को इशारों कि सरगम सुनाती है कदमों को अंदाजों कि आवाज रोशनी दिलाती है।

उमंग किसी अफसाने को अंदाजों कि परख दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अरमान सुनाती है आवाजों को लहरों कि सौगात रोशनी दिलाती है।

उमंग किसी अफसाने को अरमानों कि पुकार दिलाती है दिशाओं को राहों कि आस सौगात सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि सुबह रोशनी दिलाती है।

उमंग किसी अफसाने को जज्बातों कि राह दिलाती है किनारों को अल्फाजों कि बदलाव कोशिश सुनाती है इरादों को आशाओं कि सोच रोशनी दिलाती है।

उमंग किसी अफसाने को लहरों कि सरगम दिलाती है कदमों को उजालों कि सुबह अल्फाज सुनाती है किनारों को सपनों कि कोशिश रोशनी दिलाती है।


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