Friday 5 May 2023

कविता. ४७९७. जो बात दिल को छू जाएं।

                                      जो बात दिल को छू जाएं।

जो बात दिल को छू जाएं उस संग उड़ान भरनी है राह जो मुस्कान ले आएं उसकी कहानी कहती है आशाओं कि नयी निशानी रखनी है।

जो बात दिल को छू जाएं उस संग उजाला मिलता है नजारा जो रोशनी ले आएं उसकी सुबह कहती है खयालों कि नयी निशानी रखनी है।

जो बात दिल को छू जाएं उस संग इरादा मिलता है आस जो कोशिश ले आएं उसकी पुकार कहती है अंदाजों कि नयी निशानी रखनी है।

जो बात दिल को छू जाएं उस संग उमंग भरनी है उम्मीद जो दास्तान ले आएं उसकी सौगात कहती है नजारों कि नयी निशानी रखनी है।

जो बात दिल को छू जाएं उस संग पुकार भरनी है आवाज जो अरमान ले आएं उसकी तलाश कहती है अफसानों कि नयी निशानी रखनी है।

जो बात दिल को छू जाएं उस संग अल्फाज मिलता है खयाल जो कोशिश ले आएं उसकी आवाज कहती है किनारों कि नयी निशानी रखनी है।

जो बात दिल को छू जाएं उस संग मुस्कान भरनी है आस जो पहचान ले आएं उसकी सरगम कहती है उजालों कि नयी निशानी रखनी है।

जो बात दिल को छू जाएं उस संग तलाश उभरती है मुस्कान जो आशाएं ले आएं उसका उम्मीद कहती है अदाओं कि नयी निशानी रखनी है।

जो बात दिल को छू जाएं उस संग अरमान मिलता है एहसास जो लहरें ले आएं उसकी पहचान कहती है लम्हों कि नयी निशानी रखनी है।

जो बात दिल को छू जाएं उस संग अफसाना उभरता है दास्तान जो किनारे ले आएं उसका इशारा कहती है बदलावों कि नयी निशानी रखनी है।

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