Tuesday, 16 May 2023

कविता. ४८०८. राह किसी किनारे संग जुड़ने कि।

                          राह किसी किनारे संग जुड़ने कि।

राह किसी किनारे संग जुड़ने कि आहट देती है मुस्कान किसी इशारे कि दिशाएं देती है कदमों संग आशाओं को बदलावों कि पहचान आवाज सुनाती है।

राह किसी किनारे संग जुड़ने कि पुकार देती है दास्तान किसी रोशनी कि पुकार देती है नजारों संग अंदाजों को जज्बातों कि तलाश एहसास सुनाती है।

राह किसी किनारे संग जुड़ने कि सौगात देती है अदा किसी तराने कि समझ देती है आवाजों संग अरमानों को दिशाओं कि कहानी बदलाव सुनाती है।

राह किसी किनारे संग जुड़ने कि आस देती है कोशिश किसी दास्तान कि सुबह देती है उजालों संग लम्हों को एहसासों कि सोच तराना सुनाती है।

राह किसी किनारे संग जुड़ने कि समझ देती है आवाज किसी सपने कि पहचान देती है लहरों संग अफसानों को उजालों कि उमंग आहट सुनाती है।

राह किसी किनारे संग जुड़ने कि आवाज देती है आस किसी मुस्कान कि तलाश देती है दिशाओं संग लहरों को इशारों कि सौगात सरगम सुनाती है।

राह किसी किनारे संग जुड़ने कि परख देती है दिशा किसी अफसाने कि सोच देती है जज्बातों संग बदलावों को लम्हों कि रोशनी पहचान सुनाती है।

राह किसी किनारे संग जुड़ने कि उमंग देती है नजर किसी एहसास कि समझ देती है नजारों संग खयालों को अंदाजों कि आस अरमान सुनाती है।

राह किसी किनारे संग जुड़ने कि मुस्कान देती है जज्बात किसी अरमान कि उम्मीद देती है तरानों संग आशाओं को बदलावों कि रोशनी कोशिश सुनाती है।

राह किसी किनारे संग जुड़ने कि इरादा देती है दिशा‌ किसी अल्फाज कि सोच देती है कदमों संग उजालों को सपनों कि उमंग आवाज सुनाती है। 

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