Wednesday 24 May 2023

कविता. ४८१६. किनारों को अल्फाजों कि।

                                    किनारों को अल्फाजों कि।

किनारों को अल्फाजों कि समझ रोशनी दिलाती है लम्हों को खयालों कि आहट सहारा देती है कदमों कि सोच अक्सर अरमान देकर जाती है।

किनारों को अल्फाजों कि सोच सुबह दिलाती है कदमों को उजालों कि परख कोशिश देती है दिशाओं कि कहानी अक्सर आवाज देकर जाती है।

किनारों को अल्फाजों कि कोशिश तलाश दिलाती है अंदाजों को जज्बातों कि आस खयाल देती है अफसानों कि समझ अक्सर बदलाव देकर जाती है।

किनारों को अल्फाजों कि सौगात खयाल दिलाती है दिशाओं को अदाओं कि सुबह अरमान देती है नजारों कि तलाश अक्सर रोशनी देकर जाती है।

किनारों को अल्फाजों कि सरगम बदलाव दिलाती है दास्तानों को सपनों कि पुकार आवाज देती है जज्बातों कि आस अक्सर कोशिश देकर जाती है।

किनारों को अल्फाजों कि उमंग पहचान दिलाती है लहरों को इशारों कि सौगात एहसास देती है अफसानों कि सुबह अक्सर आवाज देकर जाती है।

किनारों को अल्फाजों कि राह अहमियत दिलाती है सपनों को अरमानों कि कोशिश सुबह देती है कदमों कि आहट अक्सर एहसास देकर जाती है।

किनारों को अल्फाजों कि आस लहर दिलाती है इशारों को आशाओं कि पुकार अफसाना देती है नजारों कि सोच अक्सर आवाज देकर जाती है।

किनारों को अल्फाजों कि रोशनी सपना दिलाती है अंदाजों को बदलावों कि समझ तलाश देती है अरमानों कि पुकार अक्सर आस देकर जाती है।

किनारों को अल्फाजों कि परख कोशिश दिलाती है लम्हों को दास्तानों कि कहानी सुबह देती है एहसासों कि समझ अक्सर खयाल देकर जाती है।

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