Sunday 5 June 2022

कविता. ४४६३. दिशाओं को इशारों कि।

                            दिशाओं को इशारों कि।

दिशाओं को इशारों कि सुबह एहसास दिलाती है सपनों को नजारों कि पहचान मुस्कान दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि सौगात आस दिलाती है तरानों को उम्मीदों कि सोच पुकार दिलाती है लहरों को अफसानों कि मुस्कान अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि कोशिश रोशनी दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अफसाना दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि सोच मुस्कान दिलाती है लहरों को अफसानों कि सरगम तलाश दिलाती है जज्बातों को आशाओं कि परख अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि पहचान पुकार दिलाती है नजारों को अदाओं कि सौगात कोशिश दिलाती है कदमों को खयालों कि सरगम अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि समझ सपना दिलाती है बदलावों को जज्बातों कि सोच अल्फाज दिलाती है किनारों को आवाजों कि धून अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि दास्तान किनारा दिलाती है सपनों को कदमों कि आहट सरगम दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि परख कोशिश दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि तलाश खयाल दिलाती है सपनों को अल्फाजों कि आस अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि आहट सुबह दिलाती है लहरों को अफसानों कि सोच सहारा दिलाती है अदाओं को उमंग कि सुबह अंदाज सुनाती है।

दिशाओं को इशारों कि मुस्कान राह दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून एहसास दिलाती है आशाओं को अदाओं कि समझ अंदाज सुनाती है।

 

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