Thursday, 30 June 2022

कविता. ४४८८. उजालों को इशारों कि सोच।

                                   उजालों को इशारों कि सोच।

उजालों को इशारों कि सोच सपना दिलाती है लम्हों को अरमानों कि पहचान मुस्कान देकर जाती है जज्बातों से जुड़कर कोशिश आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच किनारा दिलाती है कोशिश को नजारों कि तलाश पहचान देकर जाती है खयालों से जुड़कर आवाज आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच सहारा दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात बदलाव देकर जाती है आशाओं से जुड़कर समझ आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच जज्बात दिलाती है कदमों को दास्तानों कि परख उमंग देकर जाती है दिशाओं से जुड़कर रोशनी आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच इरादा दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ अरमान देकर जाती है दास्तानों से जुड़कर पुकार आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच मुस्कान दिलाती है सपनों को इरादों कि तलाश आवाज देकर जाती है दिशाओं से जुड़कर पहचान आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच सौगात दिलाती है तरानों को उम्मीदों कि राह एहसास देकर जाती है जज्बातों से जुड़कर परख आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच उमंग दिलाती है बदलावों को दास्तानों कि सुबह अरमान देकर जाती है खयालों से जुड़कर कोशिश आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच इशारा दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ पुकार देकर जाती है अंदाजों से जुड़कर उमंग आस जगाती है।

उजालों को इशारों कि सोच मुस्कान दिलाती है अंदाजों को खयालों कि सरगम सहारा देकर जाती है कदमों से जुड़कर उम्मीद आस जगाती है।

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