Friday, 1 July 2022

कविता. ४४८९. दास्तानों से दिशाओं कि।

                           दास्तानों से दिशाओं कि।

दास्तानों से दिशाओं कि पहचान इशारा देती है कदमों को आवाजों कि धून एहसास दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश अफसाना देती है।

दास्तानों से दिशाओं कि परख बदलाव देती है तरानों को अंदाजों कि राह अरमान दिलाती है अदाओं को लम्हों कि रोशनी अफसाना देती है।

दास्तानों से दिशाओं कि पुकार अल्फाज देती है नजारों को अदाओं कि समझ आस दिलाती है लहरों को अफसानों कि पुकार अफसाना देती है।

दास्तानों से दिशाओं कि तलाश उमंग देती है इशारों को अरमानों कि धाराएं अंदाज दिलाती है अंदाजों को इरादों कि मुस्कान अफसाना देती है।

दास्तानों से दिशाओं कि सोच इरादा देती है उम्मीदों को आवाजों कि धून बदलाव दिलाती है राहों को एहसासों कि कहानी अफसाना देती है।

दास्तानों से दिशाओं कि समझ आस देती है कदमों को दास्तानों कि सोच एहसास दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि सुबह अफसाना देती है।

दास्तानों से दिशाओं कि सौगात सहारा देती है दिशाओं को बदलावों कि उमंग अरमान दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना देती है।

दास्तानों से दिशाओं कि सरगम सपना देती है किनारों को जज्बातों कि पुकार पहचान दिलाती है नजारों को अदाओं कि लहर अफसाना देती है।

दास्तानों से दिशाओं कि रोशनी खयाल देती है अंदाजों को नजारों कि तलाश आस दिलाती है आवाजों को लम्हों कि कहानी अफसाना देती है।

दास्तानों से दिशाओं कि सुबह नजारा देती है तरानों को अंदाजों कि राह उजाला दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि पुकार अफसाना देती है।

 

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