Tuesday, 12 July 2022

कविता. ४५००. उजालों से आवाजों कि महफ़िल।

                       उजालों से आवाजों कि महफ़िल। 

उजालों से आवाजों कि महफ़िल अरमान सुहाना देती है दास्तानों को नजारों कि पुकार इशारा सुनाती है राहों को आशाओं कि तलाश इरादा दिलाती है।

उजालों से आवाजों कि महफ़िल सपना सुहाना देती है कदमों को अफसानों कि सरगम कोशिश सुनाती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान इरादा दिलाती है।

उजालों से आवाजों कि महफ़िल तराना सुहाना देती है दिशाओं को जज्बातों कि लहर खयाल सुनाती है कदमों को अदाओं कि सौगात इरादा दिलाती है।

उजालों से आवाजों कि महफ़िल नजारा सुहाना देती है अंदाजों को अदाओं कि सौगात बदलाव सुनाती है लहरों को अफसानों कि सोच इरादा दिलाती है।

उजालों से आवाजों कि महफ़िल इशारा सुहाना देती है किनारों को आशाओं कि मुस्कान राह सुनाती है लम्हों को बदलावों कि उमंग इरादा दिलाती है।

उजालों से आवाजों कि महफ़िल जज्बात सुहाना देती है अल्फाजों को कदमों कि आहट लहर सुनाती है राहों को किनारों कि सोच इरादा दिलाती है।

उजालों से आवाजों कि महफ़िल एहसास सुहाना देती है दिशाओं को सपनों कि पुकार पहचान सुनाती है खयालों को राहों कि रोशनी इरादा दिलाती है।

उजालों से आवाजों कि महफ़िल लम्हा सुहाना देती है तरानों को उम्मीदों कि सौगात कोशिश सुनाती है अंदाजों को कदमों कि आहट इरादा दिलाती है।

उजालों से आवाजों कि महफ़िल बदलाव सुहाना देती है दिशाओं को अदाओं कि मुस्कान सहारा सुनाती है तरानों को इशारों कि सोच इरादा दिलाती है।

उजालों से आवाजों कि महफ़िल सहारा सुहाना देती है लम्हों को अफसानों कि सोच अल्फाज सुनाती है लहरों को दिशाओं कि उमंग इरादा दिलाती है।

 

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