Wednesday 13 July 2022

कविता. ४५०१. दास्तान को आवाजों कि।

                               दास्तान को आवाजों कि।

दास्तान को आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है राहों को अरमानों कि धाराएं अंदाज देती है तरानों को अफसानों कि सौगात अहमियत देती है।

दास्तान को आवाजों कि सुबह पुकार दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि कोशिश आस देती है कदमों को अंदाजों कि रोशनी अहमियत देती है।

दास्तान को आवाजों कि समझ किनारा दिलाती है अदाओं को सपनों कि सरगम खयाल देती है नजारों को एहसासों कि कहानी अहमियत देती है।

दास्तान को आवाजों कि सोच इरादा दिलाती है बदलावों को उम्मीदों कि सौगात सपना देती है उजालों को कदमों कि आहट अहमियत देती है।

दास्तान को आवाजों कि राह अरमान दिलाती है लम्हों को कदमों कि सोच कोशिश देती है जज्बातों को बदलावों कि उमंग अहमियत देती है।

दास्तान को आवाजों कि सोच इरादा दिलाती है किनारों को अंदाजों कि सौगात रोशनी देती है आशाओं को लहरों कि पुकार अहमियत देती है।

दास्तान को आवाजों कि आस अंदाज दिलाती है दिशाओं को कदमों कि मुस्कान अरमान देती है अदाओं को बदलावों कि परख अहमियत देती है।

दास्तान को आवाजों कि अदा सोच दिलाती है कदमों को जज्बातों कि राह सोच देती है तरानों को लहरों कि पहचान अहमियत देती है।

दास्तान को आवाजों कि समझ उमंग दिलाती है अदाओं को लम्हों कि रोशनी कोशिश देती है उजालों को अल्फाजों कि आस अहमियत देती है।

दास्तान को आवाजों कि राह सरगम दिलाती है लम्हों को किनारों कि सुबह अफसाना देती है अंदाजों को इरादों कि तलाश अहमियत देती है।

 

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