Sunday 10 July 2022

कविता. ४४९८. किनारों को अरमानों कि।

                            किनारों को अरमानों कि।   ‌‌

किनारों को अरमानों कि धाराएं अंदाज दिलाती है लहरों को कदमों कि आहट अफसाना देती है नजारों से मिलकर आशाओं कि मुस्कान इशारा देती है।

किनारों को अरमानों कि सुबह आवाज दिलाती है राहों को एहसासों कि कहानी तलाश देती है तरानों से मिलकर कदमों कि मुस्कान इशारा देती है।

किनारों को अरमानों कि सौगात आस दिलाती है दिशाओं को उजालों कि परख कोशिश देती है जज्बातों से मिलकर अंदाजों कि मुस्कान इशारा देती है।

किनारों को अरमानों कि राह नजारा दिलाती है खयालों को उम्मीदों कि सोच इरादा देती है अल्फाजों से मिलकर आवाजों कि मुस्कान इशारा देती है।

किनारों को अरमानों कि आस उमंग दिलाती है कदमों को दास्तानों कि सुबह एहसास देती है उम्मीदों से मिलकर लहरों कि मुस्कान इशारा देती है।

किनारों को अरमानों कि समझ सोच दिलाती है उजालों को अदाओं कि कोशिश सरगम देती है दास्तानों से मिलकर लम्हों कि मुस्कान इशारा देती है।

किनारों को अरमानों कि बदलाव सुबह दिलाती है नजारों को खयालों कि उम्मीद आवाज देती है अफसानों से मिलकर बदलावों कि मुस्कान इशारा देती है।

किनारों को अरमानों कि तलाश कोशिश दिलाती है अदाओं को सपनों कि पुकार पहचान देती है दिशाओं से मिलकर राहों कि मुस्कान इशारा देती है।

किनारों को अरमानों कि उम्मीद तराना दिलाती है आशाओं को जज्बातों कि सोच कोशिश देती है आवाजों से मिलकर तरानों कि मुस्कान इशारा देती है।

किनारों को अरमानों कि लहर दास्तान दिलाती है अंदाजों को कदमों कि सरगम दास्तान देती है खयालों से मिलकर अदाओं कि मुस्कान इशारा देती है।

 

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