Monday, 18 July 2022

कविता. ४५०६. मुस्कान को अफसानों कि।

                          मुस्कान को अफसानों कि।

मुस्कान को अफसानों कि कोशिश अरमान दिलाती है दिशाओं से इरादों कि तलाश खयाल सुनाती है नजारों को एहसासों कि कहानी देकर जाती है।

मुस्कान को अफसानों कि सौगात आस दिलाती है अंदाजों से खयालों कि उम्मीद आवाज सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि कहानी देकर जाती है।

मुस्कान को अफसानों कि सुबह एहसास दिलाती है लम्हों से कदमों कि आहट अल्फाज सुनाती है दास्तानों को बदलावों कि कहानी देकर जाती है।

मुस्कान को अफसानों कि समझ बदलाव दिलाती है दास्तानों से किनारों कि सोच इरादा सुनाती है तरानों को आशाओं कि कहानी देकर जाती है।

मुस्कान को अफसानों कि सोच नजारा दिलाती है अदाओं से लहरों कि पहचान सौगात सुनाती है जज्बातों को अंदाजों कि कहानी देकर जाती है।

मुस्कान को अफसानों कि कोशिश समझ दिलाती है लहरों से एहसासों कि सोच सरगम सुनाती है राहों को अरमानों कि कहानी देकर जाती है।

मुस्कान को अफसानों कि सरगम पुकार दिलाती है तरानों से अल्फाजों कि आस जज्बात सुनाती है दिशाओं को उजालों कि कहानी देकर जाती है।

मुस्कान को अफसानों कि उमंग अरमान दिलाती है उम्मीदों से आशाओं कि परख सोच सुनाती है अदाओं को खयालों कि कहानी देकर जाती है।

मुस्कान को अफसानों कि तलाश सहारा दिलाती है अदाओं से बदलावों कि समझ अल्फाज सुनाती है किनारों को अंदाजों कि कहानी देकर जाती है।

मुस्कान को अफसानों कि सोच रोशनी दिलाती है दास्तानों से खयालों कि सरगम आस सुनाती है तरानों को आवाजों कि कहानी देकर जाती है।


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