Saturday, 23 July 2022

कविता. ४५११. नजारों को कोशिश अक्सर।

                                    नजारों को कोशिश अक्सर।

नजारों को कोशिश अक्सर समझ सुहानी देती है दिशाओं को उजालों कि परख पहचान सुनाकर चलती है जज्बातों को अंदाजों कि मुस्कान सहारा देती है।

नजारों को कोशिश अक्सर पुकार सुहानी देती है दास्तानों को कदमों कि समझ अफसाना सुनाकर चलती है दिशाओं को इरादों कि सौगात सहारा देती है।

नजारों को कोशिश अक्सर आवाज सुहानी देती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग अरमान सुनाकर चलती है अंदाजों को खयालों कि उम्मीद सहारा देती है।

नजारों को कोशिश अक्सर आस सुहानी देती है तरानों को लहरों कि पुकार अल्फाज सुनाकर चलती है राहों को एहसासों कि तलाश सहारा देती है।

नजारों को कोशिश अक्सर उमंग सुहानी देती है किनारों को आशाओं कि लहर इशारा सुनाकर चलती है लम्हों को अदाओं कि सुबह सहारा देती है।

नजारों को कोशिश अक्सर सरगम सुहानी देती है खयालों को उम्मीदों कि समझ सौगात सुनाकर चलती है इशारों को अरमानों कि धाराएं सहारा देती है।

नजारों को कोशिश अक्सर उम्मीद सुहानी देती है दिशाओं को उजालों कि परख पहचान सुनाकर चलती है अदाओं को किनारों कि सोच सहारा देती है।

नजारों को कोशिश अक्सर तलाश सुहानी देती है कदमों को अदाओं कि समझ अरमान सुनाकर चलती है तरानों को आशाओं कि रोशनी सहारा देती है।

नजारों को कोशिश अक्सर सौगात सुहानी देती है तरानों को उम्मीदों कि सोच इरादा सुनाकर चलती है इरादों को किनारों कि अहमियत सहारा देती है।

नजारों को कोशिश अक्सर दास्तान सुहानी देती है लहरों को अफसानों कि सुबह एहसास सुनाकर चलती है दिशाओं को लहरों कि सोच सहारा देती है।

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