Wednesday, 27 July 2022

कविता. ४५१५. नजारों से अफसानों कि।

                                    नजारों से अफसानों कि।

नजारों से अफसानों कि सौगात सपना दिलाती है अदाओं को लम्हों कि रोशनी खयाल सुनाती है तरानों पर आशाओं कि मुस्कान अल्फाज दिलाती है।

नजारों से अफसानों कि सरगम आस दिलाती है अंदाजों को इरादों कि तलाश सौगात सुनाती है लम्हों पर जज्बातों कि लहर अल्फाज दिलाती है।

नजारों से अफसानों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है कदमों को आवाजों कि धून एहसास सुनाती है दिशाओं पर उजालों कि परख अल्फाज दिलाती है।

नजारों से अफसानों कि कोशिश अरमान दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग आवाज सुनाती है लहरों पर सपनों कि पुकार अल्फाज दिलाती है।

नजारों से अफसानों कि सोच इरादा दिलाती है आशाओं को दिशाओं कि उम्मीद तलाश सुनाती है राहों पर किनारों कि सुबह अल्फाज दिलाती है।

नजारों से अफसानों कि राह आस दिलाती है खयालों को तरानों कि पहचान बदलाव सुनाती है इशारों पर उम्मीदों कि सौगात अल्फाज दिलाती है।

नजारों से अफसानों कि पुकार आवाज दिलाती है अदाओं को लम्हों कि रोशनी कहानी सुनाती है उजालों पर आशाओं कि सरगम अल्फाज दिलाती है।

नजारों से अफसानों कि सौगात खयाल दिलाती है आवाजों को कदमों कि आस अरमान सुनाती है राहों पर किनारों कि सुबह अल्फाज दिलाती है।

नजारों से अफसानों कि सुबह एहसास दिलाती है उम्मीदों को दास्तानों कि सोच इरादा सुनाती है अंदाजों पर आवाजों कि पहचान अल्फाज दिलाती है।

नजारों से अफसानों कि सरगम इशारा दिलाती है बदलावों को आवाजों कि लहर कोशिश सुनाती है जज्बातों पर किनारों कि सोच अल्फाज दिलाती है।




 

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