Tuesday 19 July 2022

कविता ४५०७. उम्मीदों को दास्तानों कि।

                                     उम्मीदों को दास्तानों कि।

उम्मीदों को दास्तानों कि पहचान सहारा दिलाती है अदाओं से जुड़कर इरादों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है दिशाओं के पंखों संग अरमान सुनाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि समझ कोशिश दिलाती है नजारों से जुड़कर आशाओं कि सुबह एहसास दिलाती है अंदाजों के पंखों संग अफसाना सुनाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि पुकार आवाज दिलाती है जज्बातों से जुड़कर खयालों कि उमंग आस दिलाती है लहरों के पंखों संग सरगम सुनाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि सौगात तलाश दिलाती है आशाओं से जुड़कर दिशाओं कि पहचान मुस्कान दिलाती है अदाओं के पंखों संग आवाज सुनाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि परख आस दिलाती है लहरों से जुड़कर बदलावों कि उम्मीद एहसास दिलाती है कदमों के पंखों संग लहर सुनाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि सोच इशारा दिलाती है लम्हों से जुड़कर आवाजों कि धून सरगम दिलाती है खयालों के पंखों संग पुकार सुनाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि उमंग अरमान दिलाती है खयालों से जुड़कर अंदाजों कि मुस्कान राह दिलाती है लम्हों के पंखों संग पहचान सुनाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि सुबह किनारा दिलाती है नजारों से जुड़कर दिशाओं कि सौगात कोशिश दिलाती है जज्बातों के पंखों संग सपना सुनाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि पुकार आस दिलाती है उजालों से जुड़कर राहों कि तलाश खयाल दिलाती है अफसानों के पंखों संग बदलाव सुनाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि आवाज जज्बात दिलाती है अदाओं से जुड़कर लहरों कि पुकार अल्फाज दिलाती है इशारों के पंखों संग सहारा सुनाती है।

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