Wednesday 20 July 2022

कविता. ४५०८. एक एहसास से कोई नयी।

                                   एक एहसास से कोई नयी।

एक एहसास से कोई नयी सुबह उजागर होती है लहरों को अफसानों कि सरगम दिशाएं देती है किनारों संग आशाओं कि सौगात आस दिलाती है।

एक एहसास से कोई नयी रोशनी उजागर होती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अंदाज देती है नजारों संग आवाजों कि धून आस दिलाती है।

एक एहसास से कोई नयी कोशिश उजागर होती है सपनों को दास्तानों कि लहर तलाश देती है जज्बातों संग कदमों कि आहट आस दिलाती है।

एक एहसास से कोई नयी उमंग उजागर होती है तरानों को उम्मीदों कि सोच सपना देती है किनारों संग अदाओं कि समझ आस दिलाती है।

एक एहसास से कोई नयी परख उजागर होती है आशाओं को नजारों कि सौगात कोशिश देती है राहों संग अंदाजों कि मुस्कान आस दिलाती है।

एक एहसास से कोई नयी पुकार उजागर होती है आवाजों को दिशाओं कि पहचान इरादा देती है उजालों संग दास्तानों कि सरगम आस दिलाती है।

एक एहसास से कोई नयी उम्मीद उजागर होती है बदलावों को इशारों कि सुबह आवाज देती है तरानों संग खयालों कि पहचान आस दिलाती है।

एक एहसास से कोई नयी दास्तान उजागर होती है अंदाजों को राहों कि सोच इरादा देती है कदमों संग बदलावों कि उम्मीद आस दिलाती है।

एक एहसास से कोई नयी सौगात उजागर होती है राहों को किनारों कि पुकार अल्फाज देती है इशारों संग आशाओं कि परख आस दिलाती है।

एक एहसास से कोई नयी सुबह उजागर होती है जज्बातों को अंदाजों कि लहर कोशिश देती है खयालों संग अफसानों कि सौगात आस दिलाती है।

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