Friday 22 July 2022

कविता. ४५१०. जज्बात किसी इशारे संग।

                                   जज्बात किसी इशारे संग।

जज्बात किसी इशारे संग एहसास के पंखों पर उडता है कदमों कि आहट को अरमानों का इरादा मिलता है आशाओं संग अंदाजों कि आंधी बनकर बहता है।

जज्बात किसी इशारे संग अल्फाजों के पंखों पर उडता है किनारों कि सुबह को अंदाजों का नजारा मिलता है अदाओं संग मुस्कान कि आंधी बनकर बहता है।

जज्बात किसी इशारे संग खयालों के पंखों पर उडता है उजालों कि पहचान को दास्तानों का सहारा मिलता है बदलावों संग आशाओं कि आंधी बनकर बहता है।

जज्बात किसी इशारे संग अंदाजों के पंखों पर उडता है कोशिश कि परख को अफसानों का एहसास मिलता है नजारों संग दास्तानों कि आंधी बनकर बहता है।

जज्बात किसी इशारे संग अदाओं के पंखों पर उडता है राहों कि तलाश को अल्फाजों का बदलाव मिलता है रोशनी संग तरानों कि आंधी बनकर बहता है।

जज्बात किसी इशारे संग लहरों के पंखों पर उडता है कदमों कि सरगम को अदाओं का किनारा मिलता है राहों संग आवाजों कि आंधी बनकर बहता है।

जज्बात किसी इशारे संग किनारों के पंखों पर उडता है उम्मीदों कि सौगात को अरमानों का इरादा मिलता है लम्हों संग खयालों कि आंधी बनकर बहता है।

जज्बात किसी इशारे संग दिशाओं के पंखों पर उडता है उजालों कि समझ को आवाजों का तराना मिलता है बदलावों संग कदमों कि आंधी बनकर बहता है।

जज्बात किसी इशारे संग दास्तानों के पंखों पर उडता है खयालों कि उम्मीद को लहरों का अफसाना मिलता है आशाओं संग किनारों कि आंधी बनकर बहता है।

जज्बात किसी इशारे संग लम्हों के पंखों पर उडता है अल्फाजों कि सौगात को अरमानों का पुकार मिलता है दिशाओं संग उम्मीदों कि आंधी बनकर बहता है।

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