Saturday, 2 July 2022

कविता. ४४९०. राहों को खयालों कि उम्मीद।

                            राहों को खयालों कि उम्मीद।

राहों को खयालों कि उम्मीद सुबह दिलाती है अदाओं को लम्हों कि रोशनी इशारा देती है कदमों को आवाजों कि सौगात एहसास जगाती है।

राहों को खयालों कि उम्मीद सरगम दिलाती है लहरों को किनारों कि पुकार अल्फाज देती है बदलावों को इशारों कि सोच एहसास जगाती है।

राहों को खयालों कि उम्मीद आवाज दिलाती है अंदाजों को इरादों कि मुस्कान पहचान देती है नजारों को उजालों कि परख एहसास जगाती है।

राहों को खयालों कि उम्मीद आस दिलाती है जज्बातों को दिशाओं कि कोशिश किनारा देती है उम्मीदों को दास्तानों कि सुबह एहसास जगाती है।

राहों को खयालों कि उम्मीद अरमान दिलाती है किनारों को आशाओं कि परख सहारा देती है उजालों को अल्फाजों कि आस एहसास जगाती है।

राहों को खयालों कि उम्मीद कोशिश दिलाती है दिशाओं को उजालों कि सौगात मुस्कान देती है तरानों को अरमानों कि धाराएं एहसास जगाती है।

राहों को खयालों कि उम्मीद उमंग दिलाती है बदलावों को अरमानों कि सुबह आवाज देती है इरादों को आशाओं कि मुस्कान एहसास जगाती है।

राहों को खयालों कि उम्मीद सौगात दिलाती है दास्तानों को नजारों कि तलाश पहचान देती है कदमों को आवाजों कि धून एहसास जगाती है।

राहों को खयालों कि उम्मीद लहर दिलाती है सपनों को इशारों कि सरगम आवाज देती है तरानों को उजालों कि पहचान एहसास जगाती है।

राहों को खयालों कि उम्मीद पुकार दिलाती है इरादों को अंदाजों कि मुस्कान रोशनी देती है अदाओं को लम्हों कि तलाश एहसास जगाती है।

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