Saturday 30 July 2022

कविता. ४५१८. इशारों कि पहचान।

                                        इशारों कि पहचान।

इशारों कि पहचान मुस्कान दिलाती है अंदाजों को आशाओं कि सोच किनारा देती है खयालों से मिलकर सपनों कि सरगम तराना देती है।

इशारों कि पहचान आवाज दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात कोशिश देती है अदाओं से जुड़कर नजारों कि तलाश तराना देती है।

इशारों कि पहचान जज्बात दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अंदाज देती है आशाओं से मिलकर बदलावों कि उमंग तराना देती है।

इशारों कि पहचान कोशिश दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि राह सुबह देती है आवाजों से जुड़कर किनारों कि पुकार तराना देती है।

इशारों कि पहचान लहर दिलाती है दिशाओं को उजालों कि परख सौगात देती है कदमों से मिलकर अल्फाजों कि सोच तराना देती है।

इशारों कि पहचान दास्तान दिलाती है जज्बातों को मुस्कान कि आस अरमान देती है किनारों से जुड़कर अंदाजों कि रोशनी तराना देती है।

इशारों कि पहचान लम्हा दिलाती है नजारों को एहसासों कि तलाश आवाज देती है उजालों से मिलकर कदमों कि आहट तराना देती है।

इशारों कि पहचान किनारा दिलाती है आशाओं को अंदाजों कि राह अल्फाज देती है उम्मीदों से जुड़कर आवाजों कि पुकार तराना देती है।

इशारों कि पहचान कोशिश दिलाती है लहरों को कदमों कि आहट अफसाना देती है बदलावों से मिलकर एहसासों कि राह तराना देती है।

इशारों कि पहचान परख दिलाती है आवाजों को लम्हों कि सुबह अहमियत देती है किनारों से जुड़कर अंदाजों कि मुस्कान तराना देती है।

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