Sunday 12 June 2022

कविता. ४४७०. अरमानों को आशाओं कि।

                             अरमानों को आशाओं कि।

अरमानों को आशाओं कि लहर तलाश दिलाती है लम्हों को अदाओं कि सुबह किनारा देती है तरानों को अंदाजों कि बदलाव अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि मुस्कान खयाल दिलाती है नजारों को एहसासों कि कहानी समझ देती है उजालों को अल्फाजों कि सरगम अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि सौगात रोशनी दिलाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग सरगम देती है उम्मीदों को तरानों कि परख अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि राह कोशिश दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि समझ सौगात देती है कदमों को दास्तानों कि सोच अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि परख पहचान दिलाती है किनारों को अंदाजों कि मुस्कान रोशनी देती है खयालों को उम्मीदों कि सौगात अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि सोच इरादा दिलाती है कदमों को दास्तानों कि सोच इरादा देती है तरानों को अदाओं कि समझ अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि राह किनारा दिलाती है जज्बातों को नजारों कि तलाश खयाल देती है लहरों को बदलावों कि उमंग अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि सुबह एहसास दिलाती है खयालों को तरानों कि पहचान कोशिश देती है इशारों को आवाजों कि राह अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि रोशनी पहचान दिलाती है अदाओं को सपनों कि पुकार किनारा देती है लहरों को बदलावों कि उमंग अफसाना सुनाती है।

अरमानों को आशाओं कि कोशिश सुबह दिलाती है कदमों को आवाजों कि धून मुस्कान देती है तरानों को नजारों कि लहर अफसाना सुनाती है।


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