Saturday, 11 June 2022

कविता. ४४६९. कदमों को दास्तानों कि।

                            कदमों को दास्तानों कि।

कदमों को दास्तानों कि सोच इरादा दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं सपना सुनाती है नजारों कि सुबह अक्सर आस कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि राह खयाल दिलाती है सपनों को आशाओं कि मुस्कान पुकार सुनाती है जज्बातों कि लहर अक्सर अल्फाजों कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि कोशिश रोशनी दिलाती है बदलावों को इशारों कि सोच सरगम सुनाती है राहों कि तलाश अक्सर अंदाजों कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि परख सौगात दिलाती है नजारों को एहसासों कि कहानी आस सुनाती है सपनों कि आहट अक्सर उजालों कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि सुबह तराना दिलाती है दिशाओं को इरादों कि सौगात अल्फाज सुनाती है खयालों कि उम्मीद अक्सर राह कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि समझ इशारा दिलाती है अदाओं को लम्हों कि सोच इरादा सुनाती है आशाओं कि परख अक्सर आवाज कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि पुकार सहारा दिलाती है एहसासों को दिशाओं कि उमंग अरमान सुनाती है तरानों कि रोशनी अक्सर आशाओं कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि सोच तलाश दिलाती है इरादों को अदाओं कि समझ मुस्कान सुनाती है एहसासों कि सोच अक्सर बदलावों कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि लहर खयाल दिलाती है नजारों को अंदाजों कि सौगात आस सुनाती है उजालों कि पुकार अक्सर इशारों कि पहचान देती है।

कदमों को दास्तानों कि अदा सोच दिलाती है लम्हों को आवाजों कि धून एहसास सुनाती है नजारों कि आस अक्सर उम्मीदों कि पहचान देती है।

 

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