Monday 13 June 2022

कविता. ४४७१. किनारों पर आशाओं कि।

                          किनारों पर आशाओं कि।

किनारों पर आशाओं कि लहर सपना दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है राहों से जुड़कर आवाजों कि धून एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि मुस्कान कोशिश दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश खयाल सुनाती है अदाओं से मिलकर जज्बातों कि पुकार एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि परख बदलाव दिलाती है अंदाजों को इरादों कि पहचान आस सुनाती है खयालों से समझकर कदमों कि आहट एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि आस अरमान दिलाती है दिशाओं को उजालों कि पुकार आवाज सुनाती है तरानों से परखकर दास्तानों कि सुबह एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि सोच इरादा दिलाती है नजारों को तरानों कि रोशनी बदलाव सुनाती है कदमों से जुड़कर आवाजों कि सौगात एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि समझ राह दिलाती है बदलावों को अरमानों कि धाराएं अंदाज सुनाती है उजालों से मिलकर इशारों कि सोच एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि इरादा मुस्कान दिलाती है अदाओं को सपनों कि सरगम कोशिश सुनाती है दिशाओं से परखकर अंदाजों कि राह एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि दास्तान आस दिलाती है लम्हों को अंदाजों कि राह अल्फाज सुनाती है इरादों से जुड़कर कदमों कि आहट एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि सौगात तलाश दिलाती है सपनों को नजारों कि सुबह सोच सुनाती है अंदाजों से समझकर अदाओं कि समझ एहसास देती है।

किनारों पर आशाओं कि उमंग पहचान दिलाती है दास्तानों को इशारों कि सरगम मुस्कान सुनाती है राहों से परखकर दिशाओं कि उमंग एहसास देती है।

 

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