Thursday 16 June 2022

कविता. ४४७४. रोशनी को लहरों कि।

                                   रोशनी को लहरों कि।

रोशनी को लहरों कि पुकार अरमान दिलाती है बदलावों को इशारों कि सोच अहमियत सुनाती है नजारों को अदाओं कि समझ मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि सुबह एहसास दिलाती है किनारों को आशाओं कि परख पहचान सुनाती है दास्तानों को जज्बातों कि राह मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि सोच इरादा दिलाती है उजालों को अल्फाजों कि सौगात तलाश सुनाती है राहों को अरमानों कि धाराएं मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि पहचान आवाज दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून एहसास सुनाती है अंदाजों को इरादों कि कोशिश मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि खयाल दास्तान दिलाती है अंदाजों को इशारों कि सुबह आस सुनाती है उजालों को कदमों कि आहट मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि परख किनारा दिलाती है आशाओं को अदाओं कि सौगात कोशिश सुनाती है दिशाओं को एहसासों कि तलाश मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि बदलाव पहचान दिलाती है अदाओं को लम्हों कि कहानी इशारा सुनाती है तरानों को उमंग कि सौगात मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि सरगम आस दिलाती है राहों को अफसानों कि सुबह एहसास सुनाती है अंदाजों को कदमों कि आस मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि समझ उजाला दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश सौगात सुनाती है जज्बातों को तरानों कि परख मुस्कान दिलाती है।

रोशनी को लहरों कि सुबह कोशिश दिलाती है इशारों को तरानों कि सरगम पहचान सुनाती है आशाओं को दास्तानों कि सोच मुस्कान दिलाती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१६५. उम्मीदों को किनारों की।

                               उम्मीदों को किनारों की। उम्मीदों को किनारों की सौगात इरादा देती है आवाजों को अदाओं की पुकार पहचान दिलाती है द...