Tuesday 14 June 2022

कविता. ४४७२. लहरों संग नजारों कि।

                                       लहरों संग नजारों कि।

लहरों संग नजारों कि सुबह एहसास सुनाती है नजारों कि आस पहचान दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अंदाज देकर जाती है। 

लहरों संग नजारों कि सौगात कोशिश सुनाती है जज्बातों कि लहर सरगम दिलाती है लहरों को अफसानों कि सोच इरादा देकर जाती है।

लहरों संग नजारों कि सोच इशारा सुनाती है खयालों कि उम्मीद आवाज दिलाती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान रोशनी देकर जाती है।

लहरों संग नजारों कि तलाश सपना सुनाती है लहरों कि सरगम परख दिलाती है दिशाओं को उजालों कि समझ सुबह देकर जाती है।

लहरों संग नजारों कि आवाज अदा सुनाती है अंदाजों कि सोच पुकार दिलाती है बदलावों को इशारों कि परख खयाल देकर जाती है।

लहरों संग नजारों कि सरगम खयाल सुनाती है किनारों कि आवाज सुबह दिलाती है अंदाजों को आशाओं कि राह पुकार देकर जाती है।

लहरों संग नजारों कि आस पुकार सुनाती है तरानों कि राह बदलाव दिलाती है लम्हों को अफसानों कि आवाज किनारा देकर जाती है।

लहरों संग नजारों कि राह सरगम सुनाती है लम्हों कि रोशनी उजाला दिलाती है किनारों को आशाओं कि मुस्कान आस देकर जाती है। 

लहरों संग नजारों कि रोशनी नजारा सुनाती है बदलावों कि उमंग आस दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि सोच इरादा देकर जाती है।

लहरों संग नजारों कि सौगात आवाज सुनाती है आशाओं कि परख पहचान दिलाती है इरादों को तरानों कि रोशनी अल्फाज देकर जाती है।

 

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