Tuesday 31 May 2022

कविता. ४४५८. रोशनी संग अक्सर कोई।

                                रोशनी संग अक्सर कोई।

रोशनी संग अक्सर कोई आवाज कोशिश बनकर सुनाई पडती है एहसासों को आशाओं कि महफ़िल इशारा देकर चलती है किनारों से पुकार दिलाती है।

रोशनी संग अक्सर कोई कहानी पहचान बनकर सुनाई पडती है नजारों को अदाओं कि समझ बदलाव देकर चलती है जज्बातों से पुकार दिलाती है।

रोशनी संग अक्सर कोई सुबह तराना बनकर सुनाई पडती है आशाओं को लम्हों कि रोशनी खयाल देकर चलती है उजालों से पुकार दिलाती है।

रोशनी संग अक्सर कोई तलाश एहसास बनकर सुनाई पडती है उम्मीदों को आवाजों कि धून मुस्कान देकर चलती है इशारों से पुकार दिलाती है।

रोशनी संग अक्सर कोई सरगम सपना बनकर सुनाई पडती है इशारों को अरमानों कि धाराएं अंदाज देकर चलती है अदाओं से पुकार दिलाती है।

रोशनी संग अक्सर कोई मुस्कान अरमान बनकर सुनाई पडती है दिशाओं को उजालों कि परख सौगात देकर चलती है उम्मीदों से पुकार दिलाती है।

रोशनी संग अक्सर कोई आस बदलाव बनकर सुनाई पडती है इरादों को किनारों कि पहचान सरगम देकर चलती है रोशनी से पुकार दिलाती है।

रोशनी संग अक्सर कोई परख अफसाना बनकर सुनाई पडती है खयालों को तरानों कि सोच इरादा देकर चलती है कदमों से पुकार दिलाती है।

रोशनी संग अक्सर कोई कहानी इशारा बनकर सुनाई पडती है अदाओं को लम्हों कि रोशनी खयाल देकर चलती है लहरों से पुकार दिलाती है।

रोशनी संग अक्सर कोई सौगात तराना बनकर सुनाई पडती है उम्मीदों को दास्तानों कि कोशिश आस देकर चलती है दिशाओं से पुकार दिलाती है।

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कविता. ५१६६. कोशिश की कहानी अक्सर।

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