Tuesday 17 May 2022

कविता. ४४४४. दास्तानों को बदलावों कि।

                            दास्तानों को बदलावों कि।

दास्तानों को बदलावों कि लहर इशारा देती है तरानों को जज्बातों कि सोच सहारा देती है उम्मीदों को अफसानों कि सौगात कोशिश दिलाती है।

दास्तानों को बदलावों कि मुस्कान रोशनी देती है राहों को अरमानों कि परख पहचान देती है नजारों को अदाओं कि समझ कोशिश दिलाती है।

दास्तानों को बदलावों कि उमंग अरमान देती है कदमों को आवाजों कि धून आस देती है किनारों को आशाओं कि सरगम कोशिश दिलाती है।

दास्तानों को बदलावों कि राह खयाल देती है उम्मीदों को दिशाओं कि परख अल्फाज देती है राहों को लम्हों कि कहानी कोशिश दिलाती है।

दास्तानों को बदलावों कि सोच इरादा देती है सपनों को एहसासों कि उम्मीद आवाज देती है कदमों को खयालों कि सुबह कोशिश दिलाती है।

दास्तानों को बदलावों कि रोशनी सोच देती है तरानों को अंदाजों कि राह मुस्कान देती है जज्बातों को दिशाओं कि सौगात कोशिश दिलाती है।

दास्तानों को बदलावों कि समझ किनारा देती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अंदाज देती है उम्मीदों को आवाजों कि धून कोशिश दिलाती है।

दास्तानों को बदलावों कि पहचान मुस्कान देती है उजालों को अल्फाजों कि आस अफसाना देती है नजारों को कदमों कि आस कोशिश दिलाती है।

दास्तानों को बदलावों कि परख सहारा देती है खयालों को तरानों कि रोशनी सरगम देती है किनारों को आशाओं कि सुबह कोशिश दिलाती है।

दास्तानों को बदलावों कि तलाश एहसास देती है कदमों को आवाजों कि सोच सुबह देती है जज्बातों को लहरों कि उमंग कोशिश दिलाती है।

 

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