Tuesday, 3 May 2022

कविता. ४४३१. सपनों कि पुकार से अक्सर।

                             सपनों कि पुकार से अक्सर।

सपनों कि पुकार से अक्सर लम्हों कि सौगात मिलती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान बदलाव सुनाती है उजालों को अल्फाजों कि आस सरगम सुनाती है।

सपनों कि पुकार से अक्सर आशाओं कि परख दिलाती है लहरों को अफसानों कि सोच इरादा सुनाती है नजारों को आवाजों कि मुस्कान सरगम सुनाती है।

सपनों कि पुकार से अक्सर अंदाजों कि लहर मिलती है दास्तानों को नजारों कि सुबह एहसास सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग सरगम सुनाती है।

सपनों कि पुकार अक्सर खयालों कि उम्मीद दिलाती है राहों को अरमानों कि धाराएं सोच सुनाती है दास्तानों को बदलावों कि सुबह सरगम सुनाती है।

सपनों कि पुकार अक्सर इशारों कि तलाश दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि आस कोशिश सुनाती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान सरगम सुनाती है।

सपनों कि पुकार अक्सर आवाजों कि धून दिलाती है लम्हों को कदमों कि सोच इरादा सुनाती है नजारों को एहसासों कि आस सरगम सुनाती है।

सपनों कि पुकार अक्सर दिशाओं कि उमंग दिलाती है बदलावों को इशारों कि सुबह पहचान सुनाती है राहों को अरमानों कि धाराएं सरगम सुनाती है।

सपनों कि पुकार अक्सर दास्तानों कि सुबह दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ तराना सुनाती है उजालों को अल्फाजों कि कोशिश सरगम सुनाती है।

सपनों कि पुकार अक्सर लहरों कि पहचान दिलाती है बदलावों को जज्बातों कि सौगात आस सुनाती है इरादों को अंदाजों कि राह सरगम सुनाती है।

सपनों कि पुकार अक्सर उजालों कि परख दिलाती है उम्मीदों को आशाओं कि परख तलाश सुनाती है दिशाओं को इरादों कि बदलाव सरगम सुनाती है।


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