Friday 13 May 2022

कविता. ४४४०. रोशनी को अरमानों कि तलाश।

                     रोशनी को अरमानों कि तलाश।

रोशनी को अरमानों कि तलाश खयाल दिलाती है लहरों से इशारों कि पहचान अक्सर तरानों का अफसाना सुनाती है।  

रोशनी को अरमानों कि तलाश किनारा दिलाती है लम्हों को अंदाजों कि धाराएं अक्सर आशाओं का अफसाना सुनाती है।

रोशनी को अरमानों कि तलाश लहर दिलाती है कदमों से अल्फाजों कि सरगम अक्सर अदाओं का अफसाना सुनाती है। 

रोशनी को अरमानों कि तलाश नजारा दिलाती है सपनों को नजारों कि आस अक्सर लम्हों का अफसाना सुनाती है।

रोशनी को अरमानों कि तलाश कोशिश दिलाती है जज्बातों को दिशाओं कि उम्मीद अक्सर खयालों का अफसाना सुनाती है।

रोशनी को अरमानों कि तलाश सहारा दिलाती है अंदाजों को इरादों कि मुस्कान अक्सर बदलावों का अफसाना सुनाती है।

रोशनी को अरमानों कि तलाश इशारा दिलाती है किनारों को आशाओं कि परख अक्सर आवाजों का अफसाना सुनाती है।

रोशनी को अरमानों कि तलाश सरगम दिलाती है कोशिश को उम्मीदों कि सोच अक्सर किनारों का अफसाना सुनाती है।

रोशनी को अरमानों कि तलाश सौगात दिलाती है आवाजों को कदमों कि आहट अक्सर जज्बातों का अफसाना सुनाती है।

रोशनी को अरमानों कि तलाश मुस्कान दिलाती है लम्हों को अल्फाजों कि धाराएं अक्सर अंदाजों का अफसाना सुनाती है।


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