Thursday, 5 May 2022

कविता. ४४३३. राहों कि रोशनी अक्सर।

                            राहों कि रोशनी अक्सर।

राहों कि रोशनी अक्सर अंदाजों कि मुस्कान दिलाती है लहरों को अफसानों कि मुस्कान कोशिश सुनाती है नजारों को एहसासों कि तलाश खयाल दिलाती है।

राहों कि रोशनी अक्सर दिशाओं कि उमंग दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि सौगात खयाल दिलाती है।

राहों कि रोशनी अक्सर अरमानों कि धाराएं दिलाती है जज्बातों को अदाओं कि समझ आस सुनाती है बदलावों को इशारों कि सोच खयाल दिलाती है।

राहों कि रोशनी अक्सर आवाजों कि धून दिलाती है उजालों को अल्फाजों कि सरगम सोच सुनाती है राहों को किनारों कि पुकार खयाल दिलाती है।

राहों कि रोशनी अक्सर जज्बातों कि लहर दिलाती है आशाओं को एहसासों कि समझ राह सुनाती है कदमों कि सरगम खयाल दिलाती है।

राहों कि रोशनी अक्सर तरानों कि परख दिलाती है लहरों को अफसानों कि सोच इरादा सुनाती है जज्बातों कि पहचान खयाल दिलाती है।

राहों कि रोशनी अक्सर दास्तानों कि सुबह दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अफसाना सुनाती है नजारों कि अहमियत खयाल दिलाती है।

राहों कि रोशनी अक्सर बदलावों कि उम्मीद दिलाती है दास्तानों को नजारों कि तलाश अल्फाज सुनाती है दिशाओं कि उमंग खयाल दिलाती है।

राहों कि रोशनी अक्सर लम्हों कि सौगात दिलाती है इशारों को अंदाजों कि कोशिश पहचान सुनाती है लहरों कि पहचान खयाल दिलाती है।

राहों कि रोशनी अक्सर नजारों कि आस दिलाती है कदमों को दास्तानों कि सोच बदलाव सुनाती है कोशिश कि सरगम खयाल दिलाती है।

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