Monday 30 May 2022

कविता. ४४५७. जज्बात कि सुबह अक्सर।

                           जज्बात कि सुबह अक्सर।

जज्बात कि सुबह अक्सर अरमानों कि धाराएं कोशिश सुनाती है खयालों से उजालों कि सोच इरादा सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि सरगम दिलाती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर किनारों कि पुकार अल्फाज सुनाती है नजारों से अफसानों कि कोशिश राह सुनाती है कदमों को दास्तानों कि सरगम दिलाती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर कोशिश कि आस सपना सुनाती है तरानों से दिशाओं कि उमंग अल्फाज सुनाती है इशारों को अंदाजों कि सरगम दिलाती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर लहर कि पहचान मुस्कान सुनाती है आशाओं से नजारों कि सौगात खयाल सुनाती है राहों को एहसासों कि सरगम दिलाती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर सपनों कि पुकार तलाश सुनाती है बदलावों से आवाजों कि राह एहसास सुनाती है उम्मीदों को इशारों कि सरगम दिलाती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर दिशाओं कि उमंग आस सुनाती है दास्तानों से कदमों कि आहट इरादा सुनाती है आवाजों को लम्हों कि सरगम दिलाती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर किनारों कि सोच इरादा सुनाती है अंदाजों से अरमानों कि मुस्कान बदलाव सुनाती है दिशाओं को उजालों कि सरगम दिलाती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर बदलावों कि उम्मीद आवाज सुनाती है लम्हों से दास्तानों कि सौगात आस सुनाती है सपनों को अदाओं कि सरगम दिलाती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर कोशिश कि परख पहचान सुनाती है बदलावों से आशाओं कि मुस्कान रोशनी सुनाती है तरानों को अंदाजों कि सरगम दिलाती है।

जज्बात कि सुबह अक्सर अंदाजों कि राह सौगात सुनाती है नजारों से अफसानों कि सौगात किनारा सुनाती है राहों को तरानों कि सरगम दिलाती है।

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कविता. ५१६६. कोशिश की कहानी अक्सर।

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