Saturday 28 May 2022

कविता. ४४५५. खयालों कि उम्मीद संग।

                             खयालों कि उम्मीद संग।

खयालों कि उम्मीद संग कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है दिशाओं को उजालों कि परख पहचान सुनाती है राहों कि तलाश आस दिलाती है।

खयालों कि उम्मीद संग किनारों कि लहर अरमान दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि मुस्कान रोशनी सुनाती है तरानों कि सरगम आस दिलाती है।

खयालों कि उम्मीद संग नजारों कि उमंग कोशिश दिलाती है लम्हों को इशारों कि सोच इरादा सुनाती है एहसासों कि पुकार आस दिलाती है।

खयालों कि उम्मीद संग उजालों कि परख पहचान दिलाती है सपनों को आशाओं कि सौगात लहर सुनाती है बदलावों कि उमंग आस दिलाती है।

खयालों कि उम्मीद संग जज्बातों कि सोच बदलाव दिलाती है तरानों को किनारों कि पुकार अहमियत सुनाती है इशारों कि सुबह आस दिलाती है।

खयालों कि उम्मीद संग दिशाओं कि राह आवाज दिलाती है अंदाजों को इरादों कि तलाश कोशिश सुनाती है नजारों कि सौगात आस दिलाती है।

खयालों कि उम्मीद संग तरानों कि सौगात अरमान दिलाती है इशारों को अदाओं कि समझ अफसाना सुनाती है उजालों कि परख आस दिलाती है।

खयालों कि उम्मीद संग आशाओं कि मुस्कान रोशनी दिलाती है सपनों को अंदाजों कि उमंग बदलाव सुनाती है एहसासों कि सोच आस दिलाती है।

खयालों कि उम्मीद संग अदाओं कि तलाश बदलाव दिलाती है दास्तानों को नजारों कि पहचान मुस्कान सुनाती है राहों कि उमंग आस दिलाती है।

खयालों कि उम्मीद संग कदमों कि पहचान आवाज दिलाती है लहरों को अफसानों कि सोच इरादा सुनाती है अरमानों कि धाराएं आस दिलाती है।

 

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