Tuesday, 10 May 2022

कविता. ४४३७. उम्मीदों को आवाजों कि धून।

                      उम्मीदों को आवाजों कि धून।

उम्मीदों को आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है लहरों को अफसानों मे अंदाजों कि राह किनारा सुनाती है तरानों से जुड़कर कोशिश का एहसास देती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून रोशनी दिलाती है लम्हों को कदमों मे अरमानों कि धाराएं अल्फाज सुनाती है नजारों से जुड़कर आस का एहसास देती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून सपना दिलाती है जज्बातों को दिशाओं मे आशाओं कि मुस्कान सरगम सुनाती है अदाओं से जुड़कर राह का एहसास देती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून सुबह दिलाती है नजारों को अदाओं मे किनारों कि पुकार खयाल सुनाती है बदलावों से जुड़कर लहर का एहसास देती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून कोशिश दिलाती है सपनों को आशाओं मे दास्तानों कि सुबह तलाश सुनाती है आवाजों से जुड़कर परख का एहसास देती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून आस दिलाती है जज्बातों को दास्तानों मे खयालों कि उमंग अरमान सुनाती है राहों से जुड़कर कोशिश का एहसास देती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून बदलाव दिलाती है अदाओं को लहरों मे इशारों कि पहचान जज्बात सुनाती है तरानों से जुड़कर रोशनी का एहसास देती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून पहचान दिलाती है आशाओं को अफसानों मे इरादों कि तलाश सौगात सुनाती है जज्बातों से जुड़कर अंदाज का एहसास देती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून किनारा दिलाती है दास्तानों को बदलावों मे आशाओं कि सोच इरादा सुनाती है कदमों से जुड़कर अल्फाज का एहसास देती है।

उम्मीदों को आवाजों कि धून पुकार दिलाती है लहरों को अफसानों मे तरानों कि राह मुस्कान सुनाती है नजारों से जुड़कर पुकार का एहसास देती है।

 

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