Sunday 1 May 2022

कविता. ४४२९. उम्मीदों को दास्तानों कि।

                         उम्मीदों को दास्तानों कि।

उम्मीदों को दास्तानों कि सुबह एहसास दिलाती है किनारों को आशाओं कि मुस्कान जगाती है जज्बातों से अफसानों कि सौगात अहमियत दिलाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि कोशिश अफसाना दिलाती है अदाओं को लम्हों कि रोशनी जगाती है कदमों से अल्फाजों कि सोच अहमियत दिलाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि समझ सरगम दिलाती है नजारों को एहसासों कि तलाश जगाती है किनारों से बदलावों कि उमंग अहमियत दिलाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि सोच कोशिश दिलाती है तरानों को अंदाजों कि पहचान जगाती है उजालों से खयालों कि पुकार अहमियत दिलाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि सरगम परख दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात जगाती है तरानों से अरमानों कि सुबह अहमियत दिलाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि पुकार अल्फाज दिलाती है कदमों को आवाजों कि सरगम जगाती है राहों से बदलावों कि उमंग अहमियत दिलाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है राहों को अरमानों कि धाराएं जगाती है अंदाजों से इशारों कि आवाज अहमियत दिलाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि आस अदाएं दिलाती है लम्हों को कोशिश कि आहट जगाती है आशाओं से अरमानों कि सोच अहमियत दिलाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि जज्बात कोशिश दिलाती है लहरों को नजारों कि बदलाव जगाती है दिशाओं से लहरों कि पहचान अहमियत दिलाती है।

उम्मीदों को दास्तानों कि सौगात परख दिलाती है दिशाओं को उजालों कि समझ जगाती है कदमों से अल्फाजों कि आस अहमियत दिलाती है।

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